इसे कहते हैं पत्रकारिता
एनडीटीवी के पत्रकार सौरभ शुक्ला के प्रति हम सबको खुलकर सम्मान प्रकट करना चाहिए। सौरभ ने अथक परिश्रम कर सहारनपुर के मुस्लिम युवकों की थाने में पिटाई की उन बातों का खुलासा किया जिसे वहां के एसपी (सिटी) लगातार छिपा रहे थे, आईपीएस अफसर होने के बावजूद लगातार झूठ बोल रहे थे और वीडियो में दिखाए गए सच पर पर्दा डाल रहे थे। मैं उस वीडियो की बात कर रहा हूं जिसे शलभ मणि त्रिपाठी ने ‘रिटर्न गिफ्ट’ शीर्षक के साथ जारी किया था। शलभ मणि त्रिपाठी पहले एक चैनल में पत्रकार थे पर अब भाजपा के विधायक हैं। इस वीडियो में थाने के अंदर 8-10 मुस्लिम युवकों को पुलिस बर्बरतापूर्वक लाठी से पीट रही है और वे लगातार चीख़ रहे हैं। उनमें से किसी का हाथ टूट गया तो किसी का पैर लेकिन पुलिस की लाठी नहीं रुकी। वह वीडियो कोई भी देखेगा तो दहल जाएगा लेकिन शलभ मणि ने बड़े गर्व के साथ इसे जारी किया है। हैरानी होती है के इस पूर्व पत्रकार के अंदर इतनी क्रूरता और संवेदनहीनता कहां से प्रवेश कर गई।
https://www.youtube.com/watch?v=jWtUrGbo82E
एनडीटीवी के पत्रकार सौरभ शुक्ला ने इस वीडियो की छानबीन की और सहारनपुर के एसपी (सिटी) राजेश कुमार से जानना चाहा कि क्या यह वीडियो उन के जिले का है। उन्होंने साफ इनकार कर दिया कि यह उनके जिले का नहीं है। सौरभ ने पिट रहे युवकों के घरों की तलाश की और उनके परिवारजनों से मिले और यह प्रमाणित हुआ कि सभी युवक सहारनपुर के हैं और एसपी ने झूठ बोला था कि यह उनके जिले का मामला नहीं है। पुलिस की अभूतपूर्व क्रूरता, वीडियो का वायरल होना और सौरभ शुक्ला तथा उनके चैनल की सक्रियता ने एसएसपी को यह कहने के लिए मजबूर किया कि यह बर्बरता उनके ही जिले में हुई है और वह इसकी जांच का आदेश दे रहे हैं।
हम गोदी मीडिया के दलाल ऐंकरों/रिपोर्टेरों/संपादकों के चेहरे रोज देखते हैं और पहचानते हैं लेकिन सौरभ शुक्ला सहित कुछ ऐसे पत्रकार भी हैं जो गिने-चुने टीवी चैनलों और ऑनलाइन चैनलों पर सक्रिय हैं। हमें उनकी ईमानदारी और साहस को पहचानना चाहिए और उनके बारे में चर्चा करनी चाहिए। ऐसे लोग ही इस अंधे युग में पत्रकारिता की मशाल जलाए हुए हैं।
उनका हौसला बढ़ाइए।
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