• November 21, 2024

लुंगी में हलचल पत्रकार के गुप्तांग में हुआ दर्द

 लुंगी में हलचल पत्रकार के गुप्तांग में हुआ दर्द

लुंगी में हलचल
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लुंगी में धर्म ने हलचल मचा रखा था।इस हलचल को केवल पत्रकार ही महसूस कर सकता था।अजीब दौर है दर्द किसी को हो, महसूस करने का ज़िम्मा कलम के इन सिपाहियों को सौंप दी गई है और इस ज़िम्मेदारी को कलमकार क्या खूब निभा भी रहा है!

यहां भी यही हुआ लुंगी में हलचल कही और हुई और दर्द हुआ पत्रकार के गुप्तांग में!

सुबह-सुबह चारो ओर यह खबर सोहर की तरह गा दिया गया कि पप्पू के बेटवन का तो ‘खतना’ हो गया!पप्पू के घर खतना होना लोगों के लिए नेहरू के मुसलमान होने जैसा था!कलम को नेतृत्व की आवश्यकता थी।सभी बीए एमए पास पत्रकार अपनी विद्वत्ता लिए पप्पू के घर दौड़ चले।पप्पू हाशिये का विद्वान था बिल्कुल पढ़नी लिखनी तेरह बाइस भैयाजी बनारसी के माफ़िक।पिछले प्रधानी में भी अपने यहां विद्वानों का इतना जमघट नही देखा था।आज तो सभी कैमरा वगैरह लेकर पहुंचे थे।

पप्पू के बेटे लुंगी में दर्द लिए नीम के पेड़ के नीचे बेतकल्लुफ सो रहे थे और क्या लड़का क्या लड़की सभी विद्वतजन अपने कैमरे को ज़ूम कर लूंगी में हलचल को पकड़ने में लगे थे।कोई कैमरा ज़ूम कर रहा था तो कोई एंगल सेट कर रहा था तो कोई धर्म की कारस्तानी बताने में लगा था!

पृथ्वी अब पलटने को ही थी क्योंकि अनर्थ हो चुका था पप्पू के लड़को का ‘खतना’ हो चुका था।यह तो घोर कलियुग था।अनर्थ,अनिष्ट की पूरी संभावना थी।सब बेचैन थे सिवाय लिंग के! लिंग क्योकि न तो पुल्लिंग था न ही स्त्रीलिंग!वह तो बेबस लिंग था जिसपर धर्म की कटारी चल चुकी थी।

भीड़ बढ़ रही थी और टीआरपी भी।खेल रोचक होता जा रहा था।तभी पुलिस भी वहां आ धमकी।मामले के तह में जाना था इसके लिए जरूरी था कि लुंगी हटाया जाए!

लुंगी और लोग दोनों को हटाना था।लोग ज्यादा खतरनाक थे क्योंकि उनके अंदर खबर की भूख थी लुंगी तो बेचारा निर्जीव था धर्म का चादर था चाहे जो जैसे ओढ़ ले!

पुलिस अंदर ले जाकर लिंग का परीक्षण की। अपने लिए गुप्तांग के गुप्त फ़ोटो भी ऊपर-नीचे से ली।फोटो का ऊपर तक परीक्षण हुआ फिर भी तसल्ली न हुआ क्योंकि खतना तो हुआ ही था।अब जवाब पप्पू को देना था।

पप्पू को मंच पर लाया गया।यह मंच नेता का नही पप्पू का था।’दुनिया का पप्पू’!

पप्पू ने बताना शुरू किया कि उसका नाम अब्दुल्ला है वह हिन्दू भी है और मुसलमान भी!वह नट है।वह होली भी मनाता है और ईद भी।उसके घर रोजा भी होता है और नवरात्रि भी और खतना भी पीढ़ी दर पीढ़ी होते आई है।

लोग पप्पू को देख रहे थे और सोच रहे थे कि कोई हिंदू और मुसलमान दोनों कैसे हो सकता है!

पप्पू बोले जा रहा था कि भैया सबसे बड़ा धर्म मानवधर्म है।हम उसी को मानते हैं लेकिन भीड़ मानवधर्म का प्रवचन कहां सुनने वाली।
लोग शोर मचाना शुरू किए कि यह हिन्दू बनकर कोटा का फायदा लेता है यह आरक्षण का मज़ा भी ले रहा और मुसलमान भी बन रहा है।

टीआरपी तेजी से आगे भाग रही थी मानवता उतनी ही तेजी से पीछे भाग रही थी।दुनिया मे पप्पू ऐसे ही होते हैं।जवाहर मुस्लिम हुए जा रहे थे।अंत मे यह निर्णय हुआ कि पप्पू अपना गुप्तांग का परीक्षण कराए कि उसका खतना हुआ है कि नही तभी यह सच माना जाएगा कि यह पीढ़ी दर पीढ़ी की परंपरा है!

फिर क्या पब्लिक क्या कैमरा और क्या धर्म और क्या शिक्षा सभी कोई हॉस्पिटल पहुंच चुके थे और पप्पू मंच पर खड़ा था ।लुंगी ऊपर उठाने के लिए तालियां बज रही थी।

धर्म बीच खड़ा मुस्कुरा रहा था!

  • अभिषेक प्रकाश जी

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