और जब मैं आशा भोसले जी से टकरा गया..
आफिस में बताया गया कि सुचित्रा नाम की किसी लड़की का मेरे लिए फोन आया था। वो आशा भोसले जी के लाइव इंसर्ट में संचालन के लिए मुंबई से आईं हुई हैं और लखनऊ के ताज होटल में रुकी हैं। चाहती है़ कि मैं उनका इंटरव्यू करुं। मैं ताज पंहुचा और सुचित्रा से मुलाकात-बातचीत यानी इंटरव्यू हुआ। ताज के रिसेप्शन वाले शीशे के मुख्यद्वार से वापस हो रहा था तो एक महिला से टकरा गया। गलती मेरी नहीं थी, जल्दीबाजी में भागने जैसी चाल में वो महिला मुझसे टकरा गईं थीं। वो महिला कोई और नहीं आशा भोसले जी थीं। अपने शो से दो दिन पहले लखनऊ आ गई थी लेकिन वो नहीं चाहती थीं कि लोगों को ये खबर हो और मीडिया इत्यदि उन्हें घेरे। आशा जी के शो की खबर और इन्वीटेशन मुझे था ही इसलिए मैं एक क्षण में समझ गया कि वो अपने फैन्स से बचने के लिए चोरी छुपे आईं हैं। और नहीं चाहती हैं कि लोगों को खबर हो कि वो दो दिन पहले ही लखनऊ आ चुकी हैं। ख़ैर मैं उनसे ज्यादा से ज्यादा बात करने की कोशिश में उनके पीछे-पीछे उनके कमरे तक भागा और दो दिन सवाल किए। उन्होंने बहुत शालीनता से जवाब भी दिए।
फिर दो दिन बाद ताज में ही आशा जी के शो से मुतालिक़ प्रेस कांफ्रेंस थी। जिसके बाद एक लड़का हम पत्रकारों के आगे-पीछे घूम रहा था और अपने बारे में कुछ बताना चाहता था। हम लोगों ने पूछा कि आशा जी के शो में आपका क्या रोल है। वो बोला कि आशा जी के एक गीत- पिया तू अब तो आ जा.. में मेल आवाज में मोनिका ओ माई डार्लिंग की लाइन के बजाय- आशा दीदी ओ माई डार्लिंग ..गाने के लिए एक सहयोगी गायक के तौर पर एक लाइन गाने के लिए मैं आया हूं।
ये लड़का बाबुल सुप्रियो था।
नवेद शिकोह वरिष्ठ पत्रकार
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