बात दो दशक पुरानी है। न्यूज चैनलों का दौर बढ़ना शुरू हो गया था। लखनऊ में एक न्यूज चैनल में भर्तियां चल रहीं थी। लाइन लगी थी। रिपोर्टिंग में नवांकुरो का ज्यादा क्रेज था। पत्रकारिता में सामान्य ज्ञान, लैंग्वेज कमांड और विचारों का स्वस्थ होना महत्वपूर्ण होता है। लेकिन स्क्रीन ग्लैमर से प्रभावित होकर टीवी पत्रकार बनने की चाहत वाली भीड़ की गुदड़ी में कम ही लाल थे।
चैनल को लखनऊ के लिए सात-आठ रिपोर्टर और इतने ही डेस्क रिपोर्टर चाहिए होंगे लेकिन नौकरी के लिए सौ से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किया था।
लखनऊ के विख्यात पत्रकार हनुमंत राव चयन की प्रक्रिया को अंजाम दे रहे थे। उन्होंने बाकायदा आर्गनाइज तरीके से सौ से ज्यादा युवाओं की लिखित परीक्षा ली। परीक्षा में चयनित दस बीस लड़कों को हैदराबाद ट्रेनिंग के लिए भेजने और फिर लखनऊ में ज्वाइन करवाना था।
परीक्षा में सामान्य ज्ञान के सामान्य से प्रश्न थे। ना बहुत कठिन और ना बहुत आसान। परीक्षा के नतीजों से पता चला कि परीक्षार्थी भी सामान्य सामान्य ज्ञान रखते थे।
लेकिन एक चीज चौकाने वाली थी। एक प्रश्न का उत्तर बहुत आसान था लेकिन लेकिन सही जवाब देने वाले कम थे।
प्रश्न था-
अरुंधति रॉय कौन हैं ?
आज टीवी पत्रकारिता का स्तर गिरता जा रहा है। सिद्धांतहीन और विचारहीन टीवी पत्रकारिता को देखकर याद आता है-
न्यूज टीवी चैनल इंडस्ट्री की बुनियाद में शामिल मेटीरियल अरुंधति रॉय तक को नहीं जानता था। तो ऐसा ही होना था।
अरुंधति जी का आज जन्मदिन है। शुभकामनाएं
– नवेद शिकोह