• November 22, 2024

पत्रकार व पुत्र पर किए गए मुकदमे में पत्रकार और पुत्र को मिली क्लीनचिट पूरा मामला ही निकला फर्जी

 पत्रकार व पुत्र पर किए गए मुकदमे में पत्रकार और पुत्र को मिली क्लीनचिट पूरा मामला ही निकला फर्जी

हरिद्वार: ज्वालापुर कोतवाली में दर्ज तीन चर्चित मुकदमे आखिरकार पथरी और टिहरी पुलिस की जांच में फर्जी निकले। तीनों ही मामले में पुलिस ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। पुलिस की जांच में आरोपों के कोई सबूत धरातल पर नहीं मिले हैं। ऐसे में पुलिस ने फर्जी मुकदमे क्यों और किसकी शह पर दर्ज किए थे, इसको लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
5 दिसंबर 2019 को ज्वालापुर पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर पत्रकार अहसान अंसारी व अन्य के खिलाफ मारपीट, गाली गलौच और छेड़छाड़ जैसे गंभीर आरोप में मुकदमा दर्ज किया था। वही 14 अप्रैल 2020 को पुलिस ने हसरत अली निवासी पांवधोई की तहरीर पर एक और मुकदमा पत्रकार अहसान अंसारी और उनके बेटे आरिफ अंसारी के खिलाफ दर्ज किया। जिसमें फेसबुक पर अपशब्द लिखने और गाली-गलौच, धमकी आदि आरोप लगाए गए थे। पत्रकार अहसान अंसारी ने अपने खिलाफ गहरी साजिश बताते हुए निष्पक्ष जांच के लिए दोनो मुकदमों की जांच ट्रांसफर कराने की मांग की थी। तत्कालीन एडीजी अशोक कुमार के निर्देश पर दोनों मुकदमों की जांच पथरी थाना ट्रांसफर कर दी गई। जहां तत्कालीन थानाध्यक्ष सुखपाल मान, फिर एसएचओ अमर चंद शर्मा और उनके बाद मौजूदा थानाध्यक्ष दीपक कठैत ने इन दोनों मामलों की जांच की। जांच में ना तो महिला का रास्ता रोकने की तस्दीक हुई और न छेड़छाड़ व मारपीट के आरोप साबित हुए। बल्कि पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखी तो पता चला कि महिला व उसका भाई खुद आकर अहसान अंसारी के पास रुके और झगड़ा किया। पुलिस ने इस फुटेज को अहम सबूत माना है। वहीं दूसरे मामले में फेसबुक पर आरोपियों की तरफ से अभद्र टिप्पणी का कोई सुबूत पुलिस को नहीं मिला। ना ही गाली गलौज व धमकी के कोई साक्ष्य मिले हैं। इसलिए पथरी पुलिस ने दोनों मामलों में आरोपों को फर्जी पाते हुए कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी है।

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वहीं, ज्वालापुर कोतवाली में पिछले महीने भी विवाहिता को जलाकर मारने का प्रयास करने के आरोप में एक मुकदमा दर्ज हुआ। इसमें भी पत्रकार अहसान अंसारी और उनके बेटे आरिफ अंसारी को फर्जी नामजद कर दिया गया। इस मामले की जांच डीआइजी गढ़वाल नीरू गर्ग के आदेश पर टिहरी जिला ट्रांसफर होने पर उनकी नामजदगी गलत पाई गई। जिस पर विवेचक ने अहसान अंसारी और उनके बेटे आरिफ अंसारी का नाम मुकदमे से निकालते हुए कोर्ट में दस्तावेज दाखिल किए हैं। इन मुकदमों को अपने खिलाफ साजिश बताते आ रहे अहसान अंसारी के दावे पहले दो मुकदमों में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट और तीसरे मुकदमे में गलत नामजदगी साबित होने पर नाम निकाले जाने से सच साबित हुए है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि ज्वालापुर पुलिस ने 2019 व 2020 में पांच महीने के भीतर दो-दो फ़र्ज़ी मुकदमें लिखने में देर नहीं लगाई और पथरी की पुलिस ने निष्पक्ष जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिखाया। इस मामले न सिर्फ ज्वालापुर पुलिस की भूमिका पर उंगली उठ रही है, बल्कि मुकदमों की साजिश में कौन-कौन लोग शामिल थे, उन्होंने किस प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए फ़र्ज़ी मुकदमें दर्ज कराए, इसको लेकर भी तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं।

पत्रकार अहसान अंसारी

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