*पत्रकार संगठनों के एक साथ आंदोलन कर आज का दिन यादगार बनाया*
*—-पत्रकार उत्पीड़न और बलिया के पत्रकारों की रिहाई को लेकर पत्रकार संगठनों ने आवाज बुलंद किया*
*—–गांधी प्रतिमा से परिवर्तन चौक तक पैदल मार्च कर सैकड़ों पत्रकारों ने सुरक्षा व हक़ की किया मांग*
लखनऊ,07अप्रैल। देश की आजादी के 75 साल अब दूर नहीं है और आजादी के इस अमृत महोत्सव को मनाने के लिए पूरे देश में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। हमारे देश को आजादी सिर्फ एक व्यक्ति या किसी एक संगठन से नहीं मिली थी बल्कि अलग अलग वीरों ने और अलग-अलग संगठनों ने अपनी फौलादी शक्ति का प्रदर्शन करके अंग्रेज़ी हुकूमत को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था।
बात मंगल पांडे की हो या रानी लक्ष्मीबाई की, भगत सिंह की हो या चंद्रशेखर आजाद की, सुभाष चंद्र बोस हो या लाला लाजपत राय, गणेश शंकर विद्यार्थी हों या अशफाक उल्ला खान, आंदोलन सड़क पर हो या सदन में बम फेंकने का, सब की राहें जुदा रही हो लेकिन मकसद सबका एक था आजादी, अंग्रेज़ी हुकूमत से आज़ादी।
कुछ ऐसा ही मंज़र आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में देखने को मिला। आसमान से चिलचिलाती धूप का सख्त प्रहार था लेकिन सड़कों पर हाथों में तख्ती लिए कलमकार बलिया के साथियों की रिहाई और पत्रकार सुरक्षा की मांग को लेकर एक बड़े आंदोलन की राह पर निकल पड़े थे।
आवाज़ बुलंद करने वाले पवन श्रीवास्तव के संगठन वर्किंग जॉर्नलिस्ट ऑफ इंडिया द्वारा गांधी प्रतिमा पर एक धरने प्रदर्शन का आवाहन किया था जिसमें अनेक पत्रकार संगठनों ने अपनी अपनी सहभागिता दर्ज कराई। भाई हेमंत कृष्णा उपजा का बैनर लेकर आंदोलन में खड़े दिखाई दे रहे थे तो वही ऑल इंडिया न्यूज़ पेपर एसोसिएशन, #ainaindia के राष्ट्रीय सचिव जनाब अजय वर्मा अपने खराब स्वाथ्य को भूल कर बढ़ते पारे में गर्मजोशी से नारे लगाते हुए पूरे जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे| आईना के प्रदेश अध्यक्ष शेखर पंडित अपनी पूरी टीम के साथ पवन श्रीवास्तव के इस आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकर पत्रकार हितों की सुरक्षा के लिए खड़े नजर आ रहे थे। आईना के प्रदेश सचिव संतोष अपनी बीमारी को भूलकर बलिया के पत्रकारों को न्याय दिलाने के लिए लखनऊ की सड़क पर उत्साहित रूप से दिख रहे थे , वहीं आईना के उपाध्यक्ष श्यामल त्रिपाठी अपना पारिवारिक कार्यक्रम छोड़कर अपनी सारी व्यवस्थाओं से वक्त निकालकर गांधी प्रतिमा से परिवर्तन चौक तक पैदल ही चलते नजर आ रहे थे। भाई परमजीत फोन पर अपने साथियों को दिशा निर्देश देते हुए पूरे आंदोलन पर नजर रखे हुए साथ साथ चल रहे थे और ऑल इंडिया न्यूज़ पेपर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष अनिल तिवारी को आवश्यक कार्यवाही हेतु संबोधित भी करते नजर आ रहे थे। आईना के।मिनहाज, शकील, जमाल रमज़ान के इस महीने में रोज़ा होते हुए भी सरकार को आईना दिखा रहे थे वही आईना के वयोवृद्ध सदस्य गिरीश खरे नवरात्र के व्रत होने के बाद भी युवा जोश में आने वाली नई पीढ़ी के।लिए लड़ते नज़र आ रहे थे। आईना के लिए भाई अतहर का कैमरा इस पूरे घटनाक्रम को पूरी मुस्तैदी से अपने कैमरे में यादगार बना रहा था ।। मीडिया हितों की बात हो तो तनवीर सिद्दीकी, संजय आजाद, शीबू निगम का साथ होना लाज़मी है, व्यक्तिगत जितना भी महत्वपूर्ण काम हो लेकिन त्रिदेव अपने हर साथी के लिए पूर्ण समर्पित रहते है और
गांधी प्रतिमा से परिवर्तन चौक तक पत्रकारों का कारवां अपने लिए किसी मांग को नहीं उठा रहा था बल्कि पूरी मीडिया बिरादरी की सुरक्षा और हक की बात कर रहा था और प्रदेश सरकार से बलिया में पुलिसिया कार्रवाई के चलते जिन पत्रकारों को बंद किया गया था उनको ऊपर दर्ज मुकदमे को वापस लेने के साथ-साथ भविष्य में किसी भी पत्रकार पर खबर लिखने पर पुलिसिया कार्रवाई न करने के लिए लखनऊ की सड़कों पर प्रयासरत था।
वही लोक भवन में पत्रकारों का एक अन्य दल वातानुकूलित कक्ष में बैठे बड़े बड़े अधिकारियों तक पत्रकारों के उत्पीड़न की समस्याओं को पहुंचाने का प्रयास कर रहा था। आज का दिन उत्तर प्रदेश के पत्रकारों के लिए बड़ा अहम था, एक तरफ लोकभवन में पत्रकार साथी मीडिया उत्पीड़न पर आवाज उठा रहे थे तो वही गांधी प्रतिमा से लेकर परिवर्तन चौक तक एक परिवर्तन की मांग करते हुए सड़कों पर सैकड़ों की तादाद में कलमकार गर्म हवाओं की परवाह करे बगैर पैदल मार्च कर रहे थे।
रवीन्द्र त्रिपाठी की ख़ास रिपोर्ट
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