हर सत्ताधारी से आशिकी करने वाले यूपी के पत्रकारों को कुछ-कुछ होता है !
पत्रकार बिरादरी मान रही है कि यूपी के विधानसभा चुनाव में ना तो चतुर्भुजी मुकाबला है, ना त्रिकोणीय और ना ही कोई एक तरफा जीत हासिल करता नज़र आ रहा है। सपा और भाजपा की कड़ी टक्कर है। तमाम प्रतिष्ठित सर्वे एजेंसीज के ओपीनियन पोल और विश्लेषकों की मानें तो भाजपा बीस है तो सपा उन्नीस।
चंद गिरगिट पत्रकार रंग बदलने में माहिर होते हैं। जिसकी सत्ता होती है उस पार्टी के ख़ास बनने की हर संभव कोशिश करते हैं। कोई कलम से कोई कैमरे से कोई ज़बान से कोई मुखबिरी से कोई चुटकुलेबाजी से मनोरंजन करके तो कोई चहलकदमी से ही सत्ताधारियों से मधुर रिश्ता बनाने की कोशिश करता है।
कुछ मौसम वैज्ञानिक की हुनरमंदी से चुनावी मौसम में अपने कलम का रुख तय करते हैं।
यूपी में क्या होगा ? भाजपा रिपीट होगी या सपा सरकार बना लेगी। स्थिति फिलहाल स्पष्ट नहीं है। भाजपा पर आरोप लगते हैं कि वो अपने आलोचकों पर कड़ी निगाहें रखती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो साफ कह दिया है कि हम लिस्ट तैयार कर रहे हैं।
ऐसे में चुनावी मौसम में चंद गिरगिट पत्रकार किसे चाहें और किसको प्यार करें.. इस कशमकश में मध्यम मार्ग अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
मध्यम मार्ग या संतुलित कहना यहां ठीक नहीं होगा। क्योंकि संतुलन तो सैद्धांतिक पत्रकारिता कहलाती है।
यहां ये कह सकते हैं कि समय-समय पर रंग बदलने वाले पत्रकार गोविंदा की फिल्म घर वाली, बाहर वाली के रास्ते पर चल रहे हैं। या फिर फिल्म दिल तो पागल है या फिल्म कुछ कुछ होता है.. फिल्म में शाहरुख खान जैसा किरदार निभाने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे कि शाहरुख दिल तो पागल में करिश्मा और माधुरी के बीच नाचता-गाता है। और कुछ कुछ होता है में रानी मुखर्जी और काजोल दोनों से रोमांस करता नज़र आता है।
व्यंग्य/नवेद शिकोह वरिष्ठ पत्रकार
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