प्रेसकार्ड की आड़ में झोलाछाप डॉक्टरो की मनमानी अवैध कार्यों मे लिप्त लोगो के पास कहाँ से आ रहे है प्रेस के कार्ड, और कौन है इन पर मेहरबान,
सिडकुल के आस पास यूँ तो बहुत से ऐसे अवैध कार्य चल रहे है जिन्हे कानून व प्रसाशन कहीं से कहीं तक वैध करार नही देता लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि इन लोगो के पास प्रेस कार्ड आ कहाँ से रहे है, और वे कौन पत्रकार है जो महीने मे होने वाले थोड़े से आर्थिक लाभ के चलते इन्हे प्रेस कार्ड बेच रहे है,
क्षेत्र मे ऐसे बहुत से लोग है जो काम तो अवैध कर रहे है लेकिन गले मे प्रेस कार्ड डालकर घूम रहे है जबकि न तो इनका मिडिया जगत से कोई नाता है और न ही शिक्षा व योग्यता से,
लेकिन आज कल एक ट्रेंड चल पड़ा है कि यदि आपको अपने अवैध कार्यों के चलते प्रसाशन के डंडे से बचना है तो किसी भी अखबार या पोर्टल से दो हजार रूपये प्रति माह पर एक प्रेस कार्ड खरीद लीजिये, फिर आप स्वयं को पत्रकार बताकर किसी भी कार्यवाही से बचने का प्रयास कर सकते है,
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या सही मे स्वयं को पत्रकार बताकर किसी भी कार्यवाही से बचा हा सकता है तो ये आपकी गलत सोच है, पत्रकार समाज को सही दिशा देने व समाज मे देश, प्रदेश मे होने वाली पल पल कि खबरों से आपको अवगत कराते है और वास्तव मे यही पत्रकार का प्रथम कर्तव्य भी है,
लेकिन हम यहां बात कर रहे है ऐसे लोगो कि जो पत्रकारिता कि आड़ लेकर अवैध कार्यों को अंजाम दे रहे है, और सम्मानित पत्रकारो के अस्तित्व पर डिमक कि तरह काम कर रहे है,
बहुत से ऐसे झोलाछाप डॉक्टर भी है जो रोशनाबाद सिडकुल के आस पास कहीं अवैध क्लीनिक खोले बैठे है तो कहीं मेडिकल स्टोर चला रहे है, स्वास्थ्य विभाग पर दबाव बनाने के लिए किसी न किसी अखबार या पोर्टल का प्रेस कार्ड खरीद कर केवल अपने अवैध कार्य को ही नही बल्कि पत्रकारिता पर भी ग्रहण लगा रहे है,
संजय कुमार कश्यप, पत्रकार
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