• September 8, 2024

Niti Aayog Meeting Today: नीति आयोग की बैठक शुरू, पीएम मोदी कर रहे अध्यक्षता, इंडिया ब्लॉक के कई मुख्यमंत्रियों का बहिष्कार, जानें वजह

 Niti Aayog Meeting Today: नीति आयोग की बैठक शुरू, पीएम मोदी कर रहे अध्यक्षता, इंडिया ब्लॉक के कई मुख्यमंत्रियों का बहिष्कार, जानें वजह

Niti Aayog Meeting Today: इंडिया ब्लॉक के कई मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है। इनमें तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल हैं। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार का बजट 2024 संघीय ढांचे की भावना के खिलाफ है और गैर-बीजेपी शासित राज्यों के प्रति भेदभावपूर्ण है।

कौन-कौन नहीं होगा शामिल?

नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु शामिल हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में हैं।

केरल के मुख्यमंत्री का पत्र

केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर बताया था कि वह बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे। पहले राज्य के वित्तमंत्री केबी बालागोपाल के बैठक में शामिल होने की बात थी, लेकिन अब मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वह भी नहीं जाएंगे।

वित्तमंत्री का जवाब

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडिया ब्लॉक के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विपक्ष के नेता जानबूझकर सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पहले ही दिल्ली पहुंच चुके हैं।

ममता और हेमंत होंगे शामिल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नीति आयोग की बैठक में शामिल होंगे। हालांकि, झारखंड सरकार में शामिल कांग्रेस, हेमंत सोरेन के इस फैसले के खिलाफ है।

पिछली बैठक का बहिष्कार

मई 2023 में विपक्ष के आठ मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक का बहिष्कार किया था। उस समय इंडिया ब्लॉक का हिस्सा रहे नीतीश कुमार ने भी बैठक का बहिष्कार किया था। जनवरी 2024 में नीतीश कुमार एनडीए में शामिल हो गए थे। नीति आयोग की बैठक का यह बहिष्कार महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों को लेकर चल रही बहस को और बढ़ा सकता है।

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